Bihar Ministers List : बिहार विधानसभा की नई तस्वीर अब शीशे की तरह साफ है। लेकिन इस नए मंत्रिमंडल में कुछ चेहरे ऐसे भी हैं जिन्हें राजनीति के साथ मंत्री
पद भी विरासत में मिला। जानिए इस खबर में उनके बारे में।
पटना: बिहार की नई नीतीश कुमार सरकार में युवाओं के साथ अनुभवी नेताओं को भी तरजीह दी गई है। इस सरकार में कई ऐसे मंत्री भी हैं जो रिपीट किए गए। वहीं कई चेहरों की वाइल्ड कार्ड एंट्री हुई है। ये वो चेहरे हैं जो आज से पहले बिहार की किसी भी सरकार का हिस्सा नहीं रहे। लेकिन इन्हीं में से चार चेहरे ऐसे भी हैं जिन्हें पेशा और पद दोनों ही विरासत की तरह मिल गए।श्रेयसी सिंह जमुई से बीजेपी की विधायक हैं। वो दूसरी बार लगातार जमुई से ही जीती हैं। श्रेयसी सिंह अपने समय के मशहूर नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत दिग्विजय सिंह की बेटी हैं। श्रेयसी अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज भी हैं। उन्होंने कई पदक जीत कर देश का नाम रौशन किया है। लेकिन 2020 में उन्होंने राजनीति में आने का फैसला लिया। इसके बाद वो चुनाव जीतीं और आखिर में दूसरी बार में उन्हें बिहार सरकार में मंत्री बना दिया गया। दूसरा नाम- संतोष कुमार सुमन
संतोष कुमार सुमन वो दूसरे मंत्री हैं जिन्हें राजनीति विरासत में मिली है। साथ ही मंत्री पद भी। वो केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के बेटे हैं। जीतन राम मांझी को कभी खुद नीतीश कुमार ने 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद बिहार का मुख्यमंत्री बनाया था। अब उनके बेटे संतोष कुमार सुमन दूसरी बार बिहार सरकार में मंत्री का पद संभालेंगे। यानी उन्हें भी राजनीति और मंत्री पद विरासत में मिल गया।सम्राट चौधरी फिर से बिहार के उपमुख्यमंत्री होंगे। सम्राट चौधरी इससे पहले बिहार विधानपरिषद के सदस्य थे। लेकिन इस बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बीजेपी ने उन्हें तारापुर सीट से उतारा और वो जीत गए। इसके बाद दोबारा बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं। लेकिन उनका सिर्फ इतना ही परिचय नहीं है। वो पहले की राजद सरकार के पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी के बेटे हैं। उन्हें भी राजनीति और मंत्री पद विरासत में मिला। चौथा नाम- दीपक प्रकाश
इस लिस्ट में चौथा नाम दीपक प्रकाश का है। नीतीश सरकार के मंत्रिमंडल में ये नाम काफी चौंकाने वाला था। दीपक प्रकाश को मंत्री बनने से पहले नेता के तौर पर लोग शायद ही जानते थे। वो न बिहार विधानसभा के सदस्य हैं और न ही बिहार विधानपरिषद के। दीपक प्रकाश राज्यसभा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के बेटे हैं। ये तय है कि वो सदन में परिषद के रास्ते प्रवेश करेंगे, क्योंकि किसी भी ऐसे मंत्री को 6 महीने के अंदर बिहार विधानमंडल के किसी एक सदन का सदस्य निर्वाचित होना जरूरी है। इस तरह से इन्हें विरासत में राजनीति और मंत्री पद एक साथ ही मिल गया।
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